Research Article | Open Access
ह िंदी साह त्य में प्रवासी लेखन
Premlata Chakradhari, Niraj Chaubey
Pages: 658-659
Abstract
प्रवासी लेखन भारतीय साहित्य के एक मित्वपूर्ण हिस्से के रूप में स्थाहपत िो चुका िै। यि प्रहिया
साहित्यत्यक समृत्यि को वहधणत करती िै और सामाहिक पररर्ामो ों में योगदान करती िै। इस अध्ययन में िम प्रवासी लेखन के हवहभन्न आयामो ों को हवश्लेषर् करेंगे और उसके साहित्यत्यक, साोंस्कृ हतक और सामाहिक प्रभावो ों पर ध्यान देंगे।
Keywords
प्रवासी लेखन, भारतीय साहित्य, साहित्यत्यक समृत्यि, सामाहिक पररर्ाम